आज रोशनी का त्योहार दिवाली है। इस त्योहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, लेकिन लापरवाह रहने से इस पर्व का मजा किरकिरा हो सकता है। सुरक्षित और सेहतमंद दिवाली कैसे मनाएं बता रही हैं नीतू सिंह :
दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने के दरम्यान बहुत-से लोगों के जल जाने की शिकायत आती है। पल्यूशन और तेज धमाकों की वजह से आंखों में जलन, दम घुटने, हार्ट अटैक और कान बंद होने जैसी दिक्कतें भी आम हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसी हालत से बचने के लिए एहतियात जरूरी है।
जलने की हालतयह पूछने पर कि जलने की कौन-सी हालत ज्यादा खतरनाक होती है, ज्यादातर लोगों का जवाब होता है, दर्द होने या छाला पड़ने पर। सचाई इसके उलट है। जानिए जलने की हालत के बारे में :
- जलने की दो हालत होती है : एक सुपरफिशियल बर्न और दूसरी डीप बर्न।
- सुपरफिशियल बर्न में दर्द और छाले हो जाते हैं , जबकि डीप बर्न में शरीर का जला हिस्सा सुन्न हो जाता है।
- अगर जलने के बाद दर्द हो रहा है , तो इसका मतलब है , हालत गंभीर नहीं है। ऐसे में जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे रखें। इससे न सिर्फ जलन शांत होगी , बल्कि छाले भी नहीं पड़ेंगे। बरनॉल न लगाएं। अगर जलन शांत न हो तो ऑलिव ऑयल लगाएं। परेशानी कम न हो तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
- मेडिकल बर्न चार्ट में एक हथेली के बराबर जलने को 1 फीसदी मानते हैं।
- बच्चों के 10 फीसदी और बड़ों के 15 फीसदी तक जलने पर घबराने की जरूरत नहीं। ऐसा होने पर जले हुए हिस्से को बहते पानी में तब तक रखें , जब तक जलन पूरी तरह से शांत न हो जाए। अक्सर होता यह है कि लोग फौरन डॉक्टर के पास भागने या बरनॉल , नीली दवा , स्याही वगैरह लगाने लगते हैं। जलने के बाद कोई दवा या क्रीम लगाने से वह हिस्सा रंगीन हो जाता है , जिससे डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि किस तरह का बर्न है। ऐसे में सही इलाज नहीं हो पाता।
आग से बचाव के लिए ऐसा करें- हमेशा लाइसेंसधारी और विश्वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें।
- पटाखों पर लगा लेबल देखें और उस पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
- पटाखे जलाने से पहले खुली जगह में जाएं।
- आसपास देख लें , कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकड़ने वाली चीज तो नहीं है।
- जितनी दूर तक पटाखों की चिनगारी जा सकती है , उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें।
- पटाखा जलाने के लिए स्पार्कलर , अगरबत्ती अथवा लकड़ी का इस्तेमाल करें ताकि पटाखे से आपके हाथ दूर रहें और जलने का खतरा न हो।
- रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह तय कर लें कि उसकी नोक खिड़की , दरवाजे और किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। यह दुर्घटना की वजह बन सकता है।
- पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते - चप्पल जरूर पहनें।
- हमेशा पटाखे जलाते वक्त अपना चेहरा दूर रखें।
- अकेले पटाखे जलाने के बजाय सबके साथ मिलकर एंजॉय करें ताकि आपात स्थिति में लोग आपकी मदद कर सकें।
- कम - से - कम एक बाल्टी पानी भरकर नजदीक रख लें।
- किसी भी बड़ी आग की शुरुआत एक चिनगारी से होती है , ऐसे में आग की आशंका वाली जगह पर पानी डालकर ही दूर जाएं।
ऐसा बिल्कुल न करें- नायलॉन के कपड़े न पहनें , पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है।
- पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें , क्योंकि इसमें खुली फ्लेम होती है , जो कि खतरनाक हो सकती है।
- रॉकेट जैसे पटाखे तब बिल्कुल न जलाएं , जब उपर कोई रुकावट हो , मसलन पेड़ , बिजली के तार आदि।
- पटाखों के साथ एक्सपेरिमेंट या खुद के पटाखे बनाने की कोशिश न करें।
- सड़क पर पटाखे जलाने से बचें।
- एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें।
- कभी भी अपने हाथ में पटाखे न जलाएं। इसे नीचे रखकर जलाएं।
- कभी भी छोटे बच्चों के हाथ में कोई भी पटाखा न दें।
- कभी भी बंद जगह पर या गाड़ी के अंदर पटाखा जलाने की कोशिश न करें।
- हाल में एक स्टडी में बताया गया है कि जलने के ज्यादातर हादसे अनार जलाने के दौरान होते हैं। इसलिए अनार जलाते वक्त खास एहतियात बरतें। हो सके तो खुद और बच्चों को भी आंखों में चश्मा लगा लें।
आंख - कान का बचाव
आंख- आंख में हल्की चिनगाारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं।
- सादे पानी से आंखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं।
- दिवाली के बाद पल्यूशन और राख से आंखों में जलन की दिक्कत भी काफी बढ़ जाती है।
- अक्सर दिवाली के दूसरे - तीसरे दिन तक बाहर निकलने पर आंखों में जलन महसूस होती है , क्योंकि हवा में पल्यूशन होता है। ऐसी दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह से कोई आई ड्रॉप इस्तेमाल कर सकते हैं।
कान- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक वे लोग , जो लगातार 85 डेसिबल से ज्यादा शोर में रहते हैं , उनके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- 90 डेसिबल के शोर में रहने की लिमिट सिर्फ 8 घंटे होती है , 95 डेसिबल में 4 घंटे और 100 डेसिबल में 2 घंटे से ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए।
- 120 से 155 डेसिबल से ज्यादा तेज शोर हमारे सुनने की शक्ति को खराब कर सकता है और इसके साथ ही कानों में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है।
- ऐसे पटाखे , जिनसे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर हो , उनकी आवाज से 4 मीटर की दूरी बनाकर रखें।
- ज्यादा टार वाले बम पटाखे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर पैदा करते हैं , इसलिए ज्यादा शोर वाले पटाखे न जलाएं।
- आसपास ज्यादा शोर हो रहा हो , तो कानों में कॉटन या इयर प्लग का इस्तेमाल करें।
- छोटे बच्चों का खास ध्यान रखें। कानों में दर्द महसूस होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
अस्थमा और हार्ट पर असर
- पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से अस्थमा और दिल के मरीजों की दिक्कतें कई गुना बढ़ जाती हैं।
- टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से एलर्जी या अस्थमा से पीड़ित लोगों की सांस की नली सिकुड़ जाती है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन नहीं मिल पाती।
- ऐसी हालत में थोड़ी सी भी लापरवाही से हार्ट अटैक और अस्थमैटिक अटैक आ सकता है।
- परेशानी से बचने के लिए अस्थमा व दिल के मरीज पटाखे जलाने से बचें।
- धुएं और पल्यूशन से बचने के लिए घर के अंदर रहें। अगर धुआं घर में आ जाए तो एक साफ - सुथरा कॉटन का रुमाल या कपड़ा गीला करके उसका पानी निचोड़ कर उससे मुंह ढंक कर सांस लें। इससे हानिकारक कण शरीर में प्रवेश नहीं करेंगे।
- सांस के साथ प्रदूषण अंदर जाने से रोकने के लिए मुंह पर गीला रुमाल रखें। अस्थमा के मरीज इनहेलर और दवाएं आदि नियमित रूप से लें।
खानपान में एहतियात जरूरीफेस्टिव सीजन में लोग तरह - तरह का खाना खाते हैं , लेकिन ऐसे मौकों पर खासतौर से एहतियात बरतना जरूरी है। आप दोस्तों , रिश्तेदारों की रिक्वेस्ट को मानने के चक्कर में अपनी सेहत को न भूलें।
- देर रात में हल्का खाना खाएं। हेवी खाना खाने से भारीपन महसूस हो सकता है और रात में हार्ट की प्रॉब्लम हो सकती है।
- ड्रिंक करने से रात में ब्लड शुगर लेवल खतरनाक रूप से कम हो सकता है।
- पैक्ड फ्रूट जूस में सोडियम काफी ज्यादा होता है , इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से डायबीटीज के मरीजों को पटाखों के पल्यूशन से चेस्ट इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
- हर चीज को लिमिट में इस्तेमाल करें , ज्यादा मात्रा में ड्राई फ्रूट भी परेशानी का सबब बन सकता है।
कड़वी न हो जाए मिठास- इन दिनों नकली मिठाइयों की बिक्री जोरों पर है। मार्केट में लाल , पीली , काली , नीली हर रंग की मिठाइयां मौजूद हैं , जिनमें केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल होता है। इनका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
- जहां तक हो सके , घर की बनी फ्रेश चीजों , ताजे फल और ताजे फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें।
आर्टिफिशल स्वीटनर- लोग शुगर फ्री मिठाइयां यह सोचकर खाते हैं कि यह नुकसान नहीं करेंगी। सच यह है कि ये चीजें शुगर फ्री होती हैं , न कि कैलरी फ्री। ऐसे में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ जाता है।
- डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्या वाले लोग अक्सर सेहत का हवाला देकर मीठे के बजाय नमकीन खाते हैं , जबकि तली और ज्यादा नमक वाली चीजें भी परेशानी बढ़ाती हैं।
- मिलावटी मिठाइयों से हो सकती हैं ये परेशानियां - पेटदर्द , सिरदर्द , नींद न आना , मितली , शरीर में भारीपन , डायबीटीज , ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का कंट्रोल से बाहर होना आदि।
रोस्टेड काजूइन दिनों रोस्टेड काजू भी लोग जमकर खाते हैं , जबकि एक साथ डिमांड ज्यादा होने पर अक्सर पुराने स्टॉक को फिर से फ्राई करके , उसमें और नमक मिलाकर बेचा जाता है , जो कि डबल फ्राई होने के कारण काफी खतरनाक हो जाता है।
यूं लें दिवाली की मिठास- मिठाई के बजाय घर में बनी खीर , सेवइयां और कस्टर्ड आदि का इस्तेमाल करें। अगर डायबीटिक हैं तो इनमें मीठा न डालें।
- फ्रेश फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें , पैक्ड जूस न लें।
- सेब, नाशपाती , पपीता , अमरूद और दूसरे रसीले ताजे फल खाएं और खिलाएं।
- खोये आदि के बजाय पेठे जैसी सूखी मिठाइयां इस्तेमाल करें।
- रोस्टेड काजू आदि की बजाय बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट का इस्तेमाल करें।
- खाने में ज्यादा तली - भुनी चीजों के बजाय लाइट चीजें बनाएं।
- घिया या कच्चे पपीते से घर में बना सकते हैं मिठाई।
दिवाली ऐप : Allthecooks Recipes
एंड्रॉयड बेस्ड इस फ्री ऐप में लगभग 1 लाख 50 हजार रेसिपीज के बारे में बताया गया है। इन्हें फॉलो करके आप अपनी दिवाली लजीज बना सकते हैं।
वेबसाइट : इस वेबसाइट के जरिए आप दिल्ली में मौजूद बर्न हॉस्पीटल के बारे में जानकारी पा सकते हैं। लिंक है :
फेसबुक पेज : Diwali-Deepawali
इस पेज के जरिए आप दिवाली की फेस्टिविटी का आनंद उठाने के अलावा लक्ष्मी - गणेश पूजन का मुहूर्त आदि भी जान सकते हैं।
साभार
Nov 2, 2013, 09.00AM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/holy-discourse/-/just-life/astroshow/25087344.cms
दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने के दरम्यान बहुत-से लोगों के जल जाने की शिकायत आती है। पल्यूशन और तेज धमाकों की वजह से आंखों में जलन, दम घुटने, हार्ट अटैक और कान बंद होने जैसी दिक्कतें भी आम हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसी हालत से बचने के लिए एहतियात जरूरी है।
जलने की हालतयह पूछने पर कि जलने की कौन-सी हालत ज्यादा खतरनाक होती है, ज्यादातर लोगों का जवाब होता है, दर्द होने या छाला पड़ने पर। सचाई इसके उलट है। जानिए जलने की हालत के बारे में :
- जलने की दो हालत होती है : एक सुपरफिशियल बर्न और दूसरी डीप बर्न।
- सुपरफिशियल बर्न में दर्द और छाले हो जाते हैं , जबकि डीप बर्न में शरीर का जला हिस्सा सुन्न हो जाता है।
- अगर जलने के बाद दर्द हो रहा है , तो इसका मतलब है , हालत गंभीर नहीं है। ऐसे में जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे रखें। इससे न सिर्फ जलन शांत होगी , बल्कि छाले भी नहीं पड़ेंगे। बरनॉल न लगाएं। अगर जलन शांत न हो तो ऑलिव ऑयल लगाएं। परेशानी कम न हो तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
- मेडिकल बर्न चार्ट में एक हथेली के बराबर जलने को 1 फीसदी मानते हैं।
- बच्चों के 10 फीसदी और बड़ों के 15 फीसदी तक जलने पर घबराने की जरूरत नहीं। ऐसा होने पर जले हुए हिस्से को बहते पानी में तब तक रखें , जब तक जलन पूरी तरह से शांत न हो जाए। अक्सर होता यह है कि लोग फौरन डॉक्टर के पास भागने या बरनॉल , नीली दवा , स्याही वगैरह लगाने लगते हैं। जलने के बाद कोई दवा या क्रीम लगाने से वह हिस्सा रंगीन हो जाता है , जिससे डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि किस तरह का बर्न है। ऐसे में सही इलाज नहीं हो पाता।
आग से बचाव के लिए ऐसा करें- हमेशा लाइसेंसधारी और विश्वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें।
- पटाखों पर लगा लेबल देखें और उस पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
- पटाखे जलाने से पहले खुली जगह में जाएं।
- आसपास देख लें , कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकड़ने वाली चीज तो नहीं है।
- जितनी दूर तक पटाखों की चिनगारी जा सकती है , उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें।
- पटाखा जलाने के लिए स्पार्कलर , अगरबत्ती अथवा लकड़ी का इस्तेमाल करें ताकि पटाखे से आपके हाथ दूर रहें और जलने का खतरा न हो।
- रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह तय कर लें कि उसकी नोक खिड़की , दरवाजे और किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। यह दुर्घटना की वजह बन सकता है।
- पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते - चप्पल जरूर पहनें।
- हमेशा पटाखे जलाते वक्त अपना चेहरा दूर रखें।
- अकेले पटाखे जलाने के बजाय सबके साथ मिलकर एंजॉय करें ताकि आपात स्थिति में लोग आपकी मदद कर सकें।
- कम - से - कम एक बाल्टी पानी भरकर नजदीक रख लें।
- किसी भी बड़ी आग की शुरुआत एक चिनगारी से होती है , ऐसे में आग की आशंका वाली जगह पर पानी डालकर ही दूर जाएं।
ऐसा बिल्कुल न करें- नायलॉन के कपड़े न पहनें , पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है।
- पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें , क्योंकि इसमें खुली फ्लेम होती है , जो कि खतरनाक हो सकती है।
- रॉकेट जैसे पटाखे तब बिल्कुल न जलाएं , जब उपर कोई रुकावट हो , मसलन पेड़ , बिजली के तार आदि।
- पटाखों के साथ एक्सपेरिमेंट या खुद के पटाखे बनाने की कोशिश न करें।
- सड़क पर पटाखे जलाने से बचें।
- एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें।
- कभी भी अपने हाथ में पटाखे न जलाएं। इसे नीचे रखकर जलाएं।
- कभी भी छोटे बच्चों के हाथ में कोई भी पटाखा न दें।
- कभी भी बंद जगह पर या गाड़ी के अंदर पटाखा जलाने की कोशिश न करें।
- हाल में एक स्टडी में बताया गया है कि जलने के ज्यादातर हादसे अनार जलाने के दौरान होते हैं। इसलिए अनार जलाते वक्त खास एहतियात बरतें। हो सके तो खुद और बच्चों को भी आंखों में चश्मा लगा लें।
आंख - कान का बचाव
आंख- आंख में हल्की चिनगाारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं।
- सादे पानी से आंखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं।
- दिवाली के बाद पल्यूशन और राख से आंखों में जलन की दिक्कत भी काफी बढ़ जाती है।
- अक्सर दिवाली के दूसरे - तीसरे दिन तक बाहर निकलने पर आंखों में जलन महसूस होती है , क्योंकि हवा में पल्यूशन होता है। ऐसी दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह से कोई आई ड्रॉप इस्तेमाल कर सकते हैं।
कान- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक वे लोग , जो लगातार 85 डेसिबल से ज्यादा शोर में रहते हैं , उनके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- 90 डेसिबल के शोर में रहने की लिमिट सिर्फ 8 घंटे होती है , 95 डेसिबल में 4 घंटे और 100 डेसिबल में 2 घंटे से ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए।
- 120 से 155 डेसिबल से ज्यादा तेज शोर हमारे सुनने की शक्ति को खराब कर सकता है और इसके साथ ही कानों में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है।
- ऐसे पटाखे , जिनसे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर हो , उनकी आवाज से 4 मीटर की दूरी बनाकर रखें।
- ज्यादा टार वाले बम पटाखे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर पैदा करते हैं , इसलिए ज्यादा शोर वाले पटाखे न जलाएं।
- आसपास ज्यादा शोर हो रहा हो , तो कानों में कॉटन या इयर प्लग का इस्तेमाल करें।
- छोटे बच्चों का खास ध्यान रखें। कानों में दर्द महसूस होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
अस्थमा और हार्ट पर असर
- पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से अस्थमा और दिल के मरीजों की दिक्कतें कई गुना बढ़ जाती हैं।
- टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से एलर्जी या अस्थमा से पीड़ित लोगों की सांस की नली सिकुड़ जाती है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन नहीं मिल पाती।
- ऐसी हालत में थोड़ी सी भी लापरवाही से हार्ट अटैक और अस्थमैटिक अटैक आ सकता है।
- परेशानी से बचने के लिए अस्थमा व दिल के मरीज पटाखे जलाने से बचें।
- धुएं और पल्यूशन से बचने के लिए घर के अंदर रहें। अगर धुआं घर में आ जाए तो एक साफ - सुथरा कॉटन का रुमाल या कपड़ा गीला करके उसका पानी निचोड़ कर उससे मुंह ढंक कर सांस लें। इससे हानिकारक कण शरीर में प्रवेश नहीं करेंगे।
- सांस के साथ प्रदूषण अंदर जाने से रोकने के लिए मुंह पर गीला रुमाल रखें। अस्थमा के मरीज इनहेलर और दवाएं आदि नियमित रूप से लें।
खानपान में एहतियात जरूरीफेस्टिव सीजन में लोग तरह - तरह का खाना खाते हैं , लेकिन ऐसे मौकों पर खासतौर से एहतियात बरतना जरूरी है। आप दोस्तों , रिश्तेदारों की रिक्वेस्ट को मानने के चक्कर में अपनी सेहत को न भूलें।
- देर रात में हल्का खाना खाएं। हेवी खाना खाने से भारीपन महसूस हो सकता है और रात में हार्ट की प्रॉब्लम हो सकती है।
- ड्रिंक करने से रात में ब्लड शुगर लेवल खतरनाक रूप से कम हो सकता है।
- पैक्ड फ्रूट जूस में सोडियम काफी ज्यादा होता है , इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से डायबीटीज के मरीजों को पटाखों के पल्यूशन से चेस्ट इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
- हर चीज को लिमिट में इस्तेमाल करें , ज्यादा मात्रा में ड्राई फ्रूट भी परेशानी का सबब बन सकता है।
कड़वी न हो जाए मिठास- इन दिनों नकली मिठाइयों की बिक्री जोरों पर है। मार्केट में लाल , पीली , काली , नीली हर रंग की मिठाइयां मौजूद हैं , जिनमें केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल होता है। इनका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
- जहां तक हो सके , घर की बनी फ्रेश चीजों , ताजे फल और ताजे फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें।
आर्टिफिशल स्वीटनर- लोग शुगर फ्री मिठाइयां यह सोचकर खाते हैं कि यह नुकसान नहीं करेंगी। सच यह है कि ये चीजें शुगर फ्री होती हैं , न कि कैलरी फ्री। ऐसे में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ जाता है।
- डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्या वाले लोग अक्सर सेहत का हवाला देकर मीठे के बजाय नमकीन खाते हैं , जबकि तली और ज्यादा नमक वाली चीजें भी परेशानी बढ़ाती हैं।
- मिलावटी मिठाइयों से हो सकती हैं ये परेशानियां - पेटदर्द , सिरदर्द , नींद न आना , मितली , शरीर में भारीपन , डायबीटीज , ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का कंट्रोल से बाहर होना आदि।
रोस्टेड काजूइन दिनों रोस्टेड काजू भी लोग जमकर खाते हैं , जबकि एक साथ डिमांड ज्यादा होने पर अक्सर पुराने स्टॉक को फिर से फ्राई करके , उसमें और नमक मिलाकर बेचा जाता है , जो कि डबल फ्राई होने के कारण काफी खतरनाक हो जाता है।
यूं लें दिवाली की मिठास- मिठाई के बजाय घर में बनी खीर , सेवइयां और कस्टर्ड आदि का इस्तेमाल करें। अगर डायबीटिक हैं तो इनमें मीठा न डालें।
- फ्रेश फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें , पैक्ड जूस न लें।
- सेब, नाशपाती , पपीता , अमरूद और दूसरे रसीले ताजे फल खाएं और खिलाएं।
- खोये आदि के बजाय पेठे जैसी सूखी मिठाइयां इस्तेमाल करें।
- रोस्टेड काजू आदि की बजाय बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट का इस्तेमाल करें।
- खाने में ज्यादा तली - भुनी चीजों के बजाय लाइट चीजें बनाएं।
- घिया या कच्चे पपीते से घर में बना सकते हैं मिठाई।
दिवाली ऐप : Allthecooks Recipes
एंड्रॉयड बेस्ड इस फ्री ऐप में लगभग 1 लाख 50 हजार रेसिपीज के बारे में बताया गया है। इन्हें फॉलो करके आप अपनी दिवाली लजीज बना सकते हैं।
वेबसाइट : इस वेबसाइट के जरिए आप दिल्ली में मौजूद बर्न हॉस्पीटल के बारे में जानकारी पा सकते हैं। लिंक है :
फेसबुक पेज : Diwali-Deepawali
इस पेज के जरिए आप दिवाली की फेस्टिविटी का आनंद उठाने के अलावा लक्ष्मी - गणेश पूजन का मुहूर्त आदि भी जान सकते हैं।
साभार
Nov 2, 2013, 09.00AM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/holy-discourse/-/just-life/astroshow/25087344.cms
Comments
Post a Comment