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आखिर क्यों दिया जाए डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से लेन-देन पर एक्सट्रा चार्ज


प्लास्टिक मनी से होने वाला पेमेंट कैश से होने वाले पेमेंट को कितनी तेजी से ओवरटेक कर रहा है इसका अनुमान कस्टमर के बाइंग बिहेवियर पर हुई स्टडी से लगाया जा सकता है। केयर रेटिंग द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि लोगों की खरीद क्षमता बढ़ने व माॅडर्न रिटेल ने लोगों के बीच डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से लेन-देन की आदत को तेजी से बढ़ाया है लेकिन इसमें दुखद पहलू यह है कि जितनी तेजी से लोगों ने इनका इस्तेमाल करना शुरू किया है उतनी तेजी से वे कार्ड से किए जाने वाले ट्रांजेक्शन को लेकर जागरूक नहीं हुए हैं।

प्लास्टिक मनी का बढ़ता इस्तेमाल
देश के टॉप रिटेल चेन जैसे- फ्यूचर ग्रुप, शॉपर्स स्टॉप, स्पेंसर्स, विल्स लाइफस्टाइल, जॉन प्लेयर, नेक्सट और मबोइल स्टोर के अनुसार बड़े शहरों में लोगों द्वारा खरीदारी के वक्त किया जाने वाला पेमेंट नगदी से ज्यादा कार्ड द्वारा किया जाता है।

केयर रेटिंग के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस कहते हैं, ‘कार्ड से होने वाले पेमेंट ने सेफ्टी व कन्वीन्यंस तो मुहैया करवाया ही है साथ ही फेक करेंसी को भी कंट्रोल करने में सरकार की मदद की है। ब्लैक इकॉनमी की ग्रोथ में कमी लाने में यह बहुत मददगार हुआ है लेकिन इंडिया में संगठित रिटेल का नंबर बहुत ही कम है और अभी भी छोटे दुकानदारों की संख्या बहुत ज्यादा है। यह देखा गया है कि वहां अभी भी कार्ड से होने वाले पेमेंट की दर बहुत ही कम होती है। इसकी मुख्य वजह उनके द्वारा ग्राहकों को कार्ड द्वारा किए जाने वाले ट्रांजेक्शन के लिए हतोत्साहित करना है। इसकी बहुत सारी वजह हैं।’


इस बाबत अपना पैसा के सीईओ हर्षवर्धन रूंगटा कहते हैं, ‘अक्सर छोटे दुकादार कस्टमर द्वारा किए गए कार्ड ट्रांजेक्शन के वक्त उन्हें कहते हैं कि अगर वे नगदी में पेमेंट नहीं कर रहे हैं तो डेबिट कार्ड से होने वाले ट्रांजेक्शन अतिरिक्त सरचार्ज देना होगा। इतना ही नहीं कई बार तो वे उनके कॉस्ट को चेक में रखने के लिए नगदी में किए गए पेमेंट पर डिस्काउंट की पेशकश भी रख देते हैं। लेकिन अब ऐसा कम ही देखने में आता है। इससे सरकार तो नुकसान होता ही है साथ ही कस्टमर को भी नुकसान होता है।’

कार्ड की ग्रोथ का आंकड़ा
आबीआई के आंकड़ों के अनुसार भारत में 331 मिलियन डेबिट कार्ड यूजर्स हैं और क्रेडिट कार्ड का यूजर बेस देश में 19.5 मिलियन है। इस बाबत एडलवाइज के फाइनैंशल प्लानर शेलेष मुल्तानी कहते हैं, ‘अगर लोग अपने कार्ड से होने वाले तमाम ट्रांजेक्शन को लेकर न सिर्फ जागरूक हो जाएं बल्कि एक तरह का फाइनैंशल रूप से अनुशासन रखें तो वे हर माह बहुत सारी बचत कर सकते हैं। लेकिन अक्सर लोग ऐसी गलतियां करते हैं जिसके चलते बहुत सारा नुकसान उठाते हैं।

अगर दुकानदार डेबिट कार्ड पर अतिरिक्त शुल्क वसूलें
आईडीबाई बैंक के ईडी आर.के.बंसल कहते हैं, ‘आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार अगर कोई दुकानदार डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर ग्राहक से अतिरिक्त शुल्क की मांग करता है तो कस्टमर को इसे नहीं देना चाहिए क्योंकि यह गैर-कानूनी है क्योंकि जो भी बैंक अपने मर्चेंट बैंकिंग सिस्टम के तहत स्टोर को स्वेपिंग मशीन उपलब्ध करवाता है उसकी एवज में जो वित्तीय शुल्क होता है वह देना दुकानदार की जिम्मेदारी है और अगर कोई यह शुल्क सरचार्ज के नाम पर ग्राहकों पर डालता है तो बैंक उस मर्चेंट के साथ अपना गठजोड़ खत्म करे। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कस्टमर जागरूक हों।’


अगर दुकानदार मांग करे तो
आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर दुकानदार द्वारा सरचार्ज वसूलना पूरी तरह गलत है और अगर कोई ऐसा करता है तो वह http:// www.rbi.org .in पर जाकर वहां नोटिफिकेशन को पढ़ें और अगर आपके साथ ऐसी घटना हुई है तो उसकी शिकायत करें।

क्रेडिट कार्ड से होने वाला नुकसान
बिगडिसिजन्स डॉट इन के सीईओ मनीष शाह कहते हैं, ‘कई बार ऐसा होता है कि अगर बिल 10200 रुपये का है तो कस्टमर क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हुए अगर 10000 का बिल कार्ड से भर कर उसे राउंड ऑफ करता है और बाकी का ड्यू रखता है तो उसे पूरे एक महीने का इंटरेस्ट 10200 रुपये पर देना होगा क्योंकि बैंक ऐसा करते हैं।
•सुधा श्रीमाली, मुंबई
http://epaper.navbharattimes.com/details/8716-37309-2.html

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